Thursday, January 17, 2008

माँ

मैं कभी बतलाता नहीं
पर अँधेरे से डरता हूँ मैं माँ
यूं तो मैं,दिखलाता नहीं
तेरी परवाह करता हूँ मैं माँ
तुझे सब हैं पता, हैं न माँ
तुझे सब हैं पता,,मेरी माँ

भीड़ में यूं न छोडो मुझे
घर लॉट के भी आ ना पाऊँ माँ
भेज न इतना दूर मुज्क्को तू
याद भी तुझको आ ना पाऊँ माँ
क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ
क्या इतना बुरा मेरी माँ

जब भी कभी पापा मुझे
जोर ज़ोर से झूला झुलाते हैं माँ
मेरी नज़र ढूंढें तुझे
सोचु यही तू आ के थामेगी माँ

उनसे मैं यह कहता नहीं
पर मैं सहम जाता हूँ माँ
चेहरे पे आना देता नहीं
दिल ही दिल में घबराता हूँ माँ
तुझे सब हे पता हे ना माँ
तुझे सब हे पता मेरी माँ

मैं कभी बतलाता नहीं
पर अँधेरे से डरता हूँ मैं माँ
यूं तो मैं,दिखलाता नहीं
तेरी परवाह करता हूँ मैं माँ
तुझे सब हैं पता, हैं न माँ
तुझे सब हैं पता,,मेरी माँ

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